LUCC को-ऑपरेटिव सोसाइटी फर्जीवाड़ा: पौड़ी पुलिस की सख्त कार्रवाई, गढ़वाल मंडल में तेजी से चल रही जांच।

उत्तराखंड में ₹92 करोड़ और देशभर में ₹189 करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी, पुलिस ने की कई गिरफ्तारियाँ। LOC (लुक आउट सर्कुलर) व रेड कॉर्नर नोटिस की कार्यवाही जारी

पौड़ी, उत्तराखंड: LUCC को-ऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा किए गए करोड़ों रुपये के फर्जीवाड़े का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। पौड़ी पुलिस ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री लोकेश्वर सिंह के निर्देशन में पूरे गढ़वाल मंडल में बड़े स्तर पर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है।

अब तक इस हाई-प्रोफाइल मामले में निम्नलिखित प्रमुख कार्यवाहियां की गई हैं:

  • 08 अभियुक्त गिरफ्तार, जिनमें राज्य प्रमुख गिरीश चंद्र सिंह बिष्ट शामिल हैं।
  • 04 आरोपियों के खिलाफ LOC (लुक आउट सर्कुलर) नोटिस जारी।
  • 13 मुकदमे दर्ज (पौड़ी, टिहरी, देहरादून, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी में)।
  • 03 बैंक खाते सीज।
  • संपत्ति जब्ती एवं रेड कॉर्नर नोटिस की कार्यवाही प्रगति पर।
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गढ़वाल मंडल में यह पहला ऐसा मामला है जिसमें इतनी तेजी से पुलिस ने एक वित्तीय घोटाले पर कार्रवाई की है। पुलिस की सक्रियता से यह स्पष्ट है कि ऐसे अपराधों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पुलिस जांच में सामने आया है कि इस फर्जी सहकारी संस्था ने उत्तराखंड में लगभग ₹92 करोड़ की ठगी की है जबकि देशभर में कुल गबन की राशि ₹189 करोड़ से अधिक है।

घोटाले की प्रमुख जानकारी

  • उत्तराखंड में ठगी की राशि: ₹92 करोड़।
  • देशभर में कुल गबन: ₹189 करोड़ से अधिक।
  • राज्य में शाखाओं की संख्या: 35 से अधिक (पौड़ी, देहरादून, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी सहित)।
  • मुख्य आरोपी: समीर अग्रवाल, जो वर्तमान में दुबई में फरार है।

ठगी का तरीका

LUCC ने निवेशकों को अधिक ब्याज और विदेशी निवेश (जैसे तेल रिफाइनरी, सोने की खदानों) के नाम पर लुभावनी योजनाओं का लालच दिया। शुरुआत में कुछ निवेशकों को भुगतान कर विश्वास अर्जित किया गया, लेकिन बाद में भुगतान बंद कर दिया गया। पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि निवेशकों का पैसा निजी खातों में स्थानांतरित किया गया और संभवतः हवाला के माध्यम से विदेश भेजा गया।

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क्या निवेशकों को पैसे वापस मिल सकते हैं?

संभावनाएं इस पर निर्भर करती हैं:

  1. जप्त की गई संपत्ति की वैल्यू पर
    पुलिस ने बैंक खातों को सीज कर दिया है और आरोपी की संपत्तियों की जब्ती की प्रक्रिया शुरू की है। अगर यह संपत्तियाँ पर्याप्त मूल्य की हैं, तो अदालत के आदेश से इन्हें बेचकर निवेशकों को कुछ हद तक पैसा लौटाया जा सकता है।
  2. मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी पर
    मुख्य आरोपी समीर अग्रवाल दुबई में फरार है। जब तक उसे इंटरपोल के रेड कॉर्नर नोटिस के माध्यम से भारत लाया नहीं जाता, फंड ट्रेल पूरी तरह सामने नहीं आ पाएगा। इससे रिकवरी में बाधा आ सकती है।
  3. कानूनी प्रक्रिया की गति पर
    सहकारी सोसाइटी अधिनियम व फाइनेंशियल फ्रॉड कानूनों के तहत यह केस लंबा चल सकता है। संपत्ति नीलामी और कोर्ट के आदेशों में वर्षों लग सकते हैं।

वर्तमान स्थिति

फिलहाल निवेशकों को तात्कालिक राहत मिलने की संभावना कम है, लेकिन अगर जांच तेजी से आगे बढ़ती है और संपत्ति की जब्ती सफल होती है, तो आंशिक धनवापसी संभव हो सकती है। पुलिस और आर्थिक अपराध शाखा की टीमें लगातार इस दिशा में काम कर रही हैं।

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जनता से की अपील

पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे ऐसी किसी भी फर्जी निवेश या बचत स्कीम से सतर्क रहें। किसी भी संदिग्ध गतिविधि या ठगी की जानकारी तुरंत पुलिस को दें, जिससे समय रहते कार्रवाई की जा सके।

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